पशुपालन एवं डेयरी व्यवसाय में दुधारू पशुओं के दूध देने की क्षमता का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान होता है और देखा जाए तो भारत शुरू से ही एक कृषि प्रधान देश रहा है। जहां आज लगभग 75 प्रतिशत से ज्यादा जनसंख्या खेती एवं पशुपालन पर निर्भर है आज के समय में पशुपालन एक ऐसा व्यवसाय बन चुका है जिसकी 4.11 प्रतिशत जीडीपी भारत की अर्थव्यवस्था का मुख्य स्रोत है ।
इस कारक को देखते हुए एक छोटा किसान जो कि अपने जीवन काल में केवल दो से तीन पशु खरीदता है जिनके प्रजनन से वह अपना दुधारू पशु का झुंड बनाता है। जो कि किसान के दिन प्रतिदिन की जरूरतों को पूरा करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका प्रदान करती है इसी कारण एक श्रेष्ठ दुधारू पशु को खरीदना एक किसान की आय तथा भारत वर्ष की जीडीपी को बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण शैली है।
अच्छी नस्ल की भैंस हम इसलिए खोजते हैं ताकि उससे हम ज्यादा से ज्यादा फायदा अर्जित कर सकें और यही कारण है की लोग जब भी पशु खरीदते हैं तो सोच में पड़ जाते हैं कि कौन सा पशु हमें बेहतर रिटर्न देगा। देखिए रू पशु का चयन कोई सरल कार्य नहीं है। एक अच्छे पशु निर्णायक में कई महत्वपूर्ण गुणों का समावेश आवश्यक होता है।
दुधारू भैंस को खरीदते समय नस्ल के अनुसार उसके वाह्य आकार वंशावली दूध देने की क्षमता आदि पर अधिक जोर देना चाहिए। पशुपालन एवं डेयरी व्यवसाय में दुधारू पशुओं को दूध देने की क्षमता का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान होता है। इसलिए भैंस की खरीदारी करते समय कुछ विशेष जानकारी होना आवश्यक हो जाता है।
दुधारू पशु की खरीद में बहुत बडी पूंजी खर्च होती है और इसके अच्छे गुणों के उपर ही डेयरी व्यवसाय का भविष्य निर्भर करता है। क्योंकि अच्छी नस्ल और गुणवत्ता के दुधारू पशुओं से ही अधिक दुग्ध उत्पादन हासिल कर पाना सम्भव हो पाता है।
इसलिए दुधारू पशु का चयन एवं खरीदारी करते समय अच्छी नस्ल, दोष रहित पूर्णतः स्वस्थ्य पशु, लंबे ब्यांत, हर साल बच्चा और अधिक दूध देने वाली गाय भैंस को प्राथमिकता जरूर देनी चाहिए।
कौन सी नस्ल है दुधारू
अब तक की सबसे दुधारू नस्ल एकमात्र मुर्रा की भैंस को ही माना जाता है । क्योंकि इसमे औरों से बेहतर गुण मौजूद होते हैं । मुर्रा भैंस के चर्चे दूर दूर तक फैले हुए हैं । हरियाणा की मुर्रा नस्ल की भैंस की डिमांड तो अब विदेशों में भी हो रही है। भारत में भी लोग लाखों खर्च कर इस भैंस को खरीदते हैं, वहीं पालने में भी अच्छा खासा खर्च हो जाता है लोग इसको इसलिए भी पसंद करते है क्योंकि इसके जैसा उत्पादन दुनिया में कही नहीं है और और इसमें कई प्रकार के गुण मौजूद होते है जिस वजह से यह किसानों और पशुपालक के लिए सहायक होती है ।
इस नस्ल की खासियत क्या और क्यों इसे दूसरे राज्यों और विदेशों में पसंद किया जा रहा है
जैसा की हमने बताया आज हरियाणा वाली मुर्रा भैंस की डिमांड देश के साथ विदेशों में भी हो रही है। इसके पीछे सबसे बड़ी खासियत है इस भैंस की दूध देने की क्षमता ज्यादा है ।
ये भैंस एक दिन में 20 से 25 लीटर तक दूध दे देती है। इसके दूध में 7 से 10 प्रतिशत फैट पाया जाता है। इन भैंसों में खास बात ये भी है कि ये किसी भी प्रकार की जलवायु में जीवित रहने में सक्षम होती हैं। हालांकि कई रिपोर्ट में कहा गया है कि ये भैंस ज्यादा शोर में रहना पसंद नहीं करती। इसलिए इसे शांत वाली जगहों में रखा जाता है । अच्छी नस्ल की भैंस मिलना मुश्किल है लेकिन मुर्रा नस्ल की भैंस आप मेरपशु 360 से आसानी से खरीद पाएंगे ।
अगर भैंस दिखने में तंदुरुस्त और 20 किलो से ज्यादा दूध वाली है तो उसकी कीमत दूध और बनावट के आधार पर तय की जाती है। मुर्रा भैंस यानी काला सोना यह हर कोई जानता है ये शांति में रहना ज्यादा पसंद करती हैं, पूरे हरियाणा में मुर्रा भैंस को ‘काला सोना’ कहा जाता है।
क्योंकि दूध में वसा उत्पादन के लिए मुर्रा सबसे अच्छी नस्ल है।
मुर्रा नस्ल के सींग जलेबी के आकार के होते हैं। इसे इटली, बुल्गारिया, मिश्र आदि देशों में पाला जा रहा है। मुर्रा के अलावा देश में कई नस्लें भी प्रमुख हैं लेकिन हरियाणा में विशेष तौर पर मुर्रा नस्ल ही पाली जाती है। मुर्रा नस्ल को हरियाणा से जाना जाता है। सामान्य तौर पर 15 से 20 किलो दूध देने वाली भैंस एक लाख रुपये तक मिल जाती है।
लेकिन इस नस्ल को ऑनलाइन पशु बाजार के माध्यम से मेरापशु 360 एप पर ऑनलाइन घर बैठे मँगवाने की सुविधा उपलब्ध है। इसपर ऑर्डर करने पर विशेष छूट भी दी जा रही है ।
विशेष तौर पर हरियाणा के हिसार, रोहतक, जींद, फतेहाबाद जिलों की भैंसे पूरे देश भर में खरीदी जाती हैं। मुर्रा भैंस का साइंटिफिक नाम बुबालस बुबालिस है।
इस नस्ल की भैंस का वजन 650 kg के करीबन होता है। भैंस की सामान्यतः ऊंचाई 4.7 फीट तक होती है। विशेषज्ञों के अनुसार इस नस्ल की भैंसों में दूध देने की क्षमता सबसे ज्यादा होती है। अब तो भैंस की नस्ल व संख्या को बढ़ाने के लिए इनके सीमन का व्यापार भी खूब जोर शोर से होने लगा है। बढ़ते डिमांड के कारण लोग ऐसा करने लगे हैं ।
विदेशों में भी है हरियाणा के ‘काले सोने’ की डिमांड
हिसार में मुर्रा नस्ल की भैंसों का सीमन बैंक भी बनाया गया है। यहां से देश के लगभग सभी राज्यों में और विदेशों में भी मुर्रा नस्ल की भैंसों का सीमन सप्लाई किया जाता है।
पशु व्यापारी उमा शंकर ने बताया कि हिसार जिले की मुर्रा नस्ल आंध्र प्रदेश, तेलंगना, केरल, महाराष्ट्र, तमिलनाडु आदि जिलों में बेहद बड़ी संख्या में ले जाई जाती हैं। औसत मान कर चलें तो हर रोज 50 से ज्यादा भैसें हिसार जिले से इन राज्यों के व्यापारियों द्वारा खरीदी जाती हैं।
देखा जाए तो इन दिनों पशुपालक अपनी पसंद के दुधारू पशु खरीदने के लिए इंटरनेट का पूरा इस्तेमाल कर रहे हैं और करना भी चाहिए भला हमारे पशुपालक किसान भाई किसी से कम है क्या,आज प्लेस्टोर पर तमाम एप बने हुए हैं , पर उनमे मेरापशु 360 को लगातार किसान भाई और पशुपालक प्रेमी प्यार दे रहे हैं और इनमें लोग धडल्ले से जानवरों की खरीद-फरोख्त कर रहे। इसलिए हम आपके लिए ऑफर भी लेकर आए हैं तो आज ही मेरापशु 360 डाउनलोड करें और ऑनलाइन पशु बाजार से जुड़ें ।